युवा कवि व शिक्षक अमरेंद्र कुमार की कविता किसानों की मौजूदगी और उनकी कर्मठता, सजगता व जीवटता की बानगी पेश करती है -
शान है किसान
शान है किसान
जग में
इन्हीं का है मान
सदा यह सनद रहे...
तुम अर्जित कर लो हीरा,
चाहे चांदी, चाहे सोना
पर यह सबब रहे...
उपज बिना सब बौना
साहिबे सबब रहे....
डाइनिंग
लाख रंगाई कर लो
सोफ़ा चाहे उसमें भर लो
पर यह कसक रहे...
अनाजी थाली बिना सब मौना
साहेब कसक रहे...
शान है किसान
जग में
इन्हीं का है मान
सदा यह सनद रहे...4
1 टिप्पणियाँ
आपके कॉमेंट्स मुझे पसंद है क्योंकि ये सुधारने का पूरा पूरा मौका देती है।
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