राज्यस्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन
• चार दिवसीय राज्यस्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में 38 जिलों के प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा
• बायो-मेडिकल वेस्ट के उचित प्रबंधन नहीं होने से पर्यावरण को पहुँचता है नुकसान
A Rahman
बायो-मेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन पर्यावरण को रखता है स्वच्छ:
प्रशिक्षण के दौरान इन प्रतिभागियों को जैव चिकित्सा अपशिष्ट से होने वाले संभावित खतरों एवं उसके उचित प्रबंधन जैसे- अपशिष्टों का सेग्रिगेशन, कलेक्शन भंडारण एवं परिवहन आदि की जानकारी दी गई। राज्य स्वास्थ्य समिति के सहायक निदेशक, बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, पीयूष कुमार चंदन ने बताया कि बायो-मेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन जरूरी है, इसके सही तरीके से निपटान नही होने से पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। अगर इसका उचित प्रबंधन ना हो तो मनुष्य के साथ साथ पशु- पक्षीयों के को भी इससे खतरा है । इसलिए जैव चिकित्सा अपशिष्टों को उनके कलर-कोडिंग के अनुसार ही सेग्रिगेशन किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रशिक्षण ही एक मुख्य माध्यम है, जिससे स्वास्थ्यकर्मियों का अवगत होना जरूरी है। वहीं प्रशिक्षण के दौरान राज्य स्वास्थ्य समिति के मैटर्नल हेल्थ की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सरिता, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के जी. के मंडल, केअर इंडिया से डॉ. गुरिंदर ने भी प्रतिभागियों को विषय पर विस्तृत जानकारी दी।
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