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खेत न हो जाए बांझ, मिट्टी कराएं जांच


बिहार के अधिकांश  किसान मिट्टी के स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं देते हैं, जिस कारण जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट होती जा रही है और जमीन बांझ होती जा रही है। स्वस्थ मिट्टी और उन्नत फसल के लिए मिट्टी जांच आवश्यक  है।
 

मिट्टी जांच क्यों आवश्यक  है:- रासायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता खत्म होती जा रही है। दूसरी ओर जमीन को आराम नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से जमीन बांझ होती जा रही है। अधिक उत्पादन के चक्कर में किसान हाइब्रीड बीज, रासायनिक खाद और कीटनाशक का बेहिसाब इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें यह भी पता नहीं कि कौन-सी खाद खेतों में कितनी मात्रा में देनी है। हालांकि सरकारी स्तर पर मिट्टी जांच और उसके महत्व पर लगातार कृषि विभाग की ओर से कोई न कोई कार्यक्रम चलते रहते हैं। 

कैसे हो मिट्टी जांच:- प्रत्येक तीन साल पर कम-से-कम एकबार मिट्टी की जांच कराना अनिवार्य होता है। हरेक प्लाॅट का नमूना अलग-अलग लें। यदि एक एकड़ से अधिक का प्लाॅट हो, तो खेत में दो या तीन नमूना इकट्ठा करें। यदि किसी खेत की उपज कम हो, ऊसर हो, मिट्टी का रंग बदल गया हो एवं मिट्टी के भारीपन में अंतर हो,तो उस भाग का अलग नमूना लेना चाहिए। खुरपी से ऊपर वाली मिट्टी की परत हटा दें और इसके नीचे की मिट्टी को अलग-अलग गहराई से ले लीजिए। जिस खेत से नमूना लेना है, वहां 10-12 स्थानों के खरपतवार को हटा दें तथा खुरपी की सहायता से V आकार का 6 इंच गहराव चैकोर गड्ढ़ा बना दें व नीचे की मिट्टी हटा लें। अब दोनों किनारे से 1 सेमी मोटी मिट्टी खुरपी से खरोंचते हुए जमा कर  लें। सभी नमूनों को ठीक से मिला लें। उसमें से आधा किलो मिट्टी अलग करके छांह में सूखा लें। उसे प्लास्टिक के थैले में रखकर अपना नाम, पता, प्लाॅट नम्बर, फसल का नाम आदि कागज पर लिखकर चिपका दें। ध्यान रहे खेत के मेड़, गोबर व छाया वाली जगह से नमूना नहीं लें। नमूने को कृषि विभाग के मिट्टी  जाँच केंद्र पर जमा करें।  कुछ दिनों के बाद मिट्टी  ढ रिपोर्ट मिल जाएगी।  रिपोर्ट के अनुसार ही खेतों  में उर्वरक का इस्तेमाल करें।  विशेष  जानकारी के लिए कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें-


https://farmer.gov.in/STLDetails.aspx?State=10

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