विकास मेश्राम
वागधारा'जहां चाह, वहां राह' की कहावत को चरितार्थ कर जनजातीय महिलाओं के स्वालम्बन की इबारत लिख रहीं महिला किसान रमेश भगोरा। वाग्धारा संस्था की अगुआई में 'गीता सक्षम महिला समूह' बनाकर लॉकडाउन में पोषण वाटिका से आमदनी बढ़ा रहीं हैं।आइए, जानते हैं पूरी दास्तान -
स्वस्थ्य जीवन ही एक अनमोल सम्पत्ति है मनुष्य के जीवन और उसकी खुशी के लिए स्वास्थ्य ही महत्वपूर्ण है | स्वास्थ्य के बिना किसी अन्य वस्तु की कल्पना करना कठिन है एवं स्वास्थ्य ही किसी समाज के आर्थिक प्रगति के लिए अनिवार्य है | जो भी व्यक्ति अथवा समाज स्वास्थ्य से पिछड़ा हुआ है उसे जीवन मूल्य की स्थापना करना बेहद कठिन होता है। इसी अभियान के तहत वाग़धारा संस्था जैविक किचन गार्डन , खाध्य सुरक्षा , स्वास्थ्य सुरक्षा और पारम्परिक कृषि पद्धति को सक्षम महिला समूह के माध्यम से इन जनजातीय समुदाय के स्वास्थ्य हेतु प्रयासरत है |
सक्षम महिला समूह की बैठक में भाग लेती कान्ता भगोरा |
राजस्थान के जिला बांसवाडा अंतर्गत कुशलगढ़ तहसील के खेरिया पाडा गांव की 40 वर्षीय कान्ता रमेश भगोरा ने 3 बीघे सिंचाई युक्त जमीन से परिवार की हालत सुधार रही हैं। सफल प्रयास से खरीफ़ में मक्का , चावल , सोयाबीन की उपज होती है और रबी में गेहूं , सब्जी की उपज करते है | उनके पास 1 गाय,2 भैस और 2 बकरियां हैं | जनजातीय बहुल क्षेत्र में रहने वाली यह महिला पानी की कमी होने के कारण ही अपने खेत में पोषण वाटिका लगाकर अपनी आजीविका और स्वास्थ्य में सुधार कर रही है |
2018 से सहयोगकर्ता दिनेश डिन्डोर, दया मईडा इनके माध्यम से महिला समूह से जुडी | सक्षम समूह के मासिक बैठक में नियमित उपस्थित रहकर अपनी जिम्मेदारी क्या है ? अधिकार के प्रति जागरूक हुई | इसी तहत संस्था के सहजकर्ता दिनेश डिन्डोर ने उनकों जैविक खेती , पोषण वाटिका के बारे में बताया | इसमें फसल प्रबंधन, मिट्टी प्रबंधन , कृषि उपकरणों का उपयोग , जैविक खाद तैयार करना (केंचुआ, दशपर्णी , वेर्मी कम्पोस्ट खाद) के बारे में प्रशिक्षण दिया |
कान्ता रमेश भगोरा के घर में वर्मी कम्पोस्ट |
2020 में मार्च-मई तक लॉकडाउन के समय मैंने 100 किलों सब्जी बेचीं। सब्जी बाजार बन्द होने होने के कारण लोग मेरे खेत में आकर सब्जी खरीद लेते थे | इनमें जिन ग्राहकों के पास पैसे नहीं होते थे , वे ग्राहक मुझे गेहूं देते थे और बदले में सब्जी ले जाया करते थे | इस तरह मुझे मेरी सब्जी के बदले उन ग्राहकों से 70 किलो गेहूं मिले | 1500/- रूपये की नकद आमदनी भी हुई | और मै भी पहले बाजार से सब्जी खरीदकर लाती थी, परन्तु पिछले 3 वर्ष से बाजार से कोई भी सब्जी खरीदनी नहीं पड़ी। जिससे मेरे 28000/- तक की बचत हुई एवं मेरे परिवार का गुजारा इसी सब्जी से हुआ। बचत वाले पैसे मेरे लड़कों की पढाई में काम आए।
इसी प्रकार इस वर्ष 2021 मार्च–मई में लॉकडाउन 45 किलो गेहूं सब्जी बेचने पर मिले और 1000/- रूपये की नकद आमदनी हुई | इस पोषण वाटिका से मुझे आमदनी तो हुई लेकिन मेरे परिवार का स्वास्थ्य भी अच्छा रहा | इस पोषण वाटिका से मेरे परिवार को ताजा-पोषक फल-सब्जियां मिलती रही | पहले साग -सब्जी लगाती थी परन्तु, मेरे पोषण वाटिका में विविध प्रकार की सब्जियां नहीं थी | अब वाग़धारा के महिला सक्षम समूह से जुड़ने के बाद मुझे सब्जी बीज किट अपने खेत में लगाने से विभिन्न प्रकार की सब्जियां हमारे खाने में उपयोग करने लगे। वाग़धारा संस्था के जरिए आजीविका और स्वास्थ्य में काफी बदलाव आया।
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