बाल पंचायत के सामुदायिक पहल से हुई जर्जर आंगनबाड़ी दुरुस्त
Vikas Meshram
Rajsthan
सुविधाओं का उपयोग करने की उम्र में बच्चे उन सुविधाओं की कार्ययोजना बना रहे हैं, लगता मुश्किल है पर ये हो रहा है दक्षिणी राजस्थान के जनजातिय बाहुल्य बांसवाड़ा जिले की आनंदपुरी तहसील अंतर्गत क्षेत्र की बडलिया ग्राम पंचायत में । दुर्गम क्षेत्र में बसे इस गांव की विशेषता यह है कि यहां के सारे कामकाज की बागडोर नन्हे-मुन्नों ने अपने हाथ में थाम रखी है। यहां के बच्चों ने न केवल बडलिया ग्राम पंचायत का कामकाज बेहतरीन तरीके से संभाला, बल्कि इस गांव की काया ही बदलकर रख दी।
वाग्धारा संस्था के सच्चा बचपन कार्यक्रम के मार्गदर्शन में सहजकर्ता सुरेश पटेल बडलिया ग्राम पंचायत में अनूठा प्रयोग करते हुए इन गांव के ग्राम पंचायत की बागडोर 12 से 16 वर्ष तक की आयु के बच्चों को सौंप दी। ग्राम पंचायत स्तर पर बाल पंचायतों का गठन किया गया। ग्राम पंचायत की तरह ही बच्चों को सरपंच, उपसरपंच बनाया गया साथ ही उप समितियां भी बनाई गईं। तत्पश्चात इन बाल पंचायतों के माध्यम से गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास जैसे अनेक विषयों को लेकर जनजागरूकता के प्रयास किये गये। इसका सर्वाधिक असर बडलिया ग्राम में नजर आ रहा है। यहां की बाल पंचायत प्रभावी रूप से जनजागरूकता के अभियान चला रही है।
बच्चे ही कर रहे गांवों के कामों का नियोजन
सच्चा बचपन कार्यक्रम प्रभारी माजिद खान ने बताया की इस बाल पंचायत में मासिक बैठक बच्चे ही ले रहे हैं। गांव में बाल हित के कौन से काम किए जाने चाहिए, इसका नियोजन भी इन बैठकों में हो रहा है। कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, कुपोषित न रहे, इसके लिए प्रत्यक्ष रूप से आंगनवाड़ियों में जाकर कार्य किए जा रहे हैं। ग्राम स्वच्छता के अलावा गांव में प्लास्टिक मुक्ति ,नशामुक्ती की ओर ध्यान देने का सराहनीय प्रयास भी इस माध्यम से हो रहा है।
हाल ही में बाल पंचायत ने अपने सामुदायिक प्रयास से अपने होने वाली मासिक बैठक में जर्जर आंगनबाड़ी का मुद्दा उठाया था, बडलिया बाल पंचायत सरपंच प्रदीप कुमार भाभोर ने
बडलिया गाँव की ग्राम विकास एवं बाल अधिकार समिति के माध्यम से बडलिया ग्राम पंचायत की सरपंच भगवती देवी पारगी को प्रस्ताव द्वारा अवगत करवाया और आगे की प्रक्रिया में सरपंच महोदया ने महिला एवं बाल विकास विभाग से आंगनबाड़ी मरम्मत के लिए दो लाख की राशी आवंटित करके जर्जर आंगनबाड़ी की मरम्मत करवाई I
गांव में हो रहे सकारात्मक बदलाव
"बाल पंचायत के माध्यम से गांव में सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। बच्चे संस्कारित होने के साथ ही अपने अधिकार, कर्तव्य और कानून संबंधी जानकारियां ले रहे हैं। हम हर बैठक में उन्हें यह जानकारियां दे रहे हैं, जिसके कारण गांव में जागरूकता आई है। अब यह बच्चे स्वयं ही गांव में स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास आदि मुद्दों को लेकर जागरूकता का कार्य कर रहे हैं।"
प्रवीण कुमार बाल पंचायत सरपंच, बडलिया ग्राम
"गाँव में 12 से 16 वर्ष की आयु के कुछ बच्चे अभी भी अपने अधिकारों से वंचित हैं, हम उनके समग्र विकास के लिए प्रयास कर रहे है और बच्चों को पोषित करने और अच्छे स्वास्थ्य सुविधा देने की आवश्यकता है। उसी के एक अंग के रूप में इन बच्चों के विकास के लिए बाल पंचायत से बाल अधिकारों के प्रति जागरुकता लाकर बच्चों को खुले वातावरण में चर्चा के माध्यम से बच्चों के क्षमता गुणों को विकसित करने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।"
भगवती देवी पारगी, सरपंच, बडलिया ग्राम पंचायत
विकास मेश्राम, क्षेत्रीय सहजकर्ता वागधारा बताते है की बाल पंचायत के गठन के बाद देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक ओर जहां बच्चों की चिंता और उनकी भागीदारी बढ़ेगी वहीं दूसरी ओर बच्चों में नेतृत्वकारी मूल्यों का भी निर्माण होगा। यह प्रयास वाग्धारा संस्था सच्चा बचपन कार्यक्रम के माध्यम से कर रही है I
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