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एक आदर्श गांव बनने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है?

Amritanj Indiwar

किसी भी देश की रीढ़ किसान होते हैं। देश की प्रगति व अवनति किसानों पर टिकी होती है। आबादी का तकरीबन 70 प्रतिशत लोग आज भी गांव में बसते हैं। गांव में बसने वाले ज्यादातर लोग किसान और मजदूर तबके से आते हैं। देश की आर्थिक व सामाजिक संरचना को सुदृढ़ गांव ही करता है। कला, संस्कृति और सामाजिक समरसता को जीवित और समृद्ध गांव ही रखा है। गांव है तो ठांव है।

एक आदर्श गांव बनने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है?



किसी भी गांव को आदर्श बनाने के लिए उसकी बुनियादी ढांचों को मजबूत करनी पड़ती है। जिस प्रकार से मजबूत बुनियाद ही विशाल इमारत खड़ा करने में सक्षम है, उसी प्रकार मजबूत बुनियाद गांव और पंचायत को भी सदृढ़ और सक्षम बनाती है। आदर्श को अंग्रेजी में आइडियल कहा जाता है जो हमें नए आइडिया देकर मजबूती प्रदाान करे। यानि कि स्थानीय नेतृत्व व सामुदयिक भागीदारी के साथ-साथ पंचायत सरकार, राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाओं को गांव के विकास में लगाना। आदर्श गांव के लिए आवश्यक है कि बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करते हुए गांव को माॅडल के रूप में तैयार करना। जिससे आसपास के गांव भी देखा-देखी अपने गांव की बुनियादी चीजों को दुरुस्त करके वे भी माॅडल के रूप् में खड़ा हो जाए।

एक आदर्श गांव बनने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है?

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना था कि प्रत्येक गांव स्वच्छ हो, सड़क व गलियां बिलकुल दुरुस्त हो, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था हो, गांव में सभी लोगों के लिए प्रार्थना स्थल हो, सार्वजनिक सभास्थल हो, जानवरों के लिए चारागाह हो, डेयरी की व्यवस्था हो, बुनियादी प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा का केंद्र हो जहां बच्चे बचपन से ही हूनरमंद बनें, विवादों के निपटारों के लिए ग्राम कचहरी हो, साग-सब्जियों के लिए समुचित दाम व बाजार उपलब्ध हो, पर्यावरण की शुचिता और पवित्रता बनाए रखने के लिए सड़क के किनारे और घर के आगे-पीछे फलदार और आॅक्सिजन देने वाले पेड़-पौधे हो, खाद्य पदार्थ का उत्पादन के साथ-साथ लोगों का रहन-सहन उच्चकोटी का हो, गांव में वाचनालय और सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए मंच हो, खेलकूद की पूरी व्यवस्था हो।

एक आदर्श गांव बनने के लिए आवश्यक है-

1. खेती-किसानी की व्यवस्था - खेतीबारी के लिए उन्नत किस्म के बीज, खाद और सिंचाई की व्यवस्था आवश्यक है। छोटे-छोटे खेतों को मिलाकर एक बड़े भूभाग पर सामूहिक रूप से खेती करनी चाहिए। जैविक खेती, सिंचाई की आधुनिक व्यवस्था व उत्पादन के भंडारण के लिए उपयुक्त व्यवस्था आवश्यक है। सहकारिता, डेयरी, कृषि आधारित प्रसंस्करण व बिक्री की पूरी व्यवस्था एक आदर्श गांव के सपनों को साकार कर सकता है। 

2. घर-द्वार की संरचना - गांव में सड़कों से कुछ दूर हटाकर मकान बनाना चाहिए जिससे यातायात सुगम रहे। किसी भी प्रकार की दुर्घटना या धूलकण, कर्कश ध्वनि आदि से हदतक बचे रहें। घर पक्का होना चाहिए, साफ-सुथरा, स्नानगृह, शौचालय, शयनकक्ष, अतिथिकक्ष, भोजनकक्ष, रसोइघर आदि की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

3.शुद्ध पेयजल की व्यवस्था - गांव में शुद्ध व पर्याप्त जल के लिए कुएं, तालाब, बाबड़ी, पोखर आदि का जीर्णोधार होना चाहिए। तथा समय-समय पर ब्लींिचंग पाउडर का प्रयोग करना चाहिए। जिससे पानी की शुद्धता बनी रहे। जल संचयन के लिए निरंतर रणनीतियां बनाने चाहिए। लोगों को जागरूक करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

4. स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था - गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था होनी चाहिए। जहां हरवक्त चिकित्सक और दवाइयां मौजूद रहे। किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय परामार्श के लिए लोगों को झोलाछाप या शहर के डाॅक्टर के पास बड़ी रकम खर्च करने की नौबत न आवे।

5. पठन-पाठन की व्यवस्था - सभी के लिए सामान्य शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। गरीब, अमीर व फकीर किसी के बच्चे हो सबके लिए एक शिक्षा की वकालत गांव से आरंभ करनी चाहिए। जिसका अच्छा संदेश दूर-देश तक जायेगा। सामान्य शिक्षा के अलावा बालक-बालिकाओं के लिए आयु के हिसाब से रोजगारपरक शिक्षा भी मिलनी चाहिए। प्रौढ़ शिक्षा केंद्र की स्थापना होनी चाहिए। गांव में पुस्तकालय और वाचानालय की व्यवस्था एक ही केंद्र में सर्वश्रेष्ठ होता है।

6. यातायात की सुविधाएं - गांव को प्रखंड और जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए पक्की सड़कें चाहिए। दूर-दराज के गांव से सरकारी बस सेवाएं होनी चाहिए। किमी के हिसाब से सभी वाहनों का किराया होना चाहिए। गांव की सड़कें बिल्कुल पक्की हो साथ ही सड़क के दोनों छोड़ पर फलदार या छायादार पेड़-पौधेें लगे हों जिससे यात्रियों को आने-जाने में आराम मिल सके। गांव की गलियों में सड़क के दोनों किनारों पर क्यारियां बनाकर फूलों के पौधे लगा देने से गांव की सुंदरता के साथ-साथ वातावरण भी सुगंधित और पवित्र हो जाएगा।

7. संचार सुविधा : गांव के हरेक घर में संचार के साधनों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। टेलीफोन, इंटरनेट कन्केशन, डाकसेवा आदि आवश्यक है।

8. पर्यावरण व ऊर्जा संरक्षण - गांव में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बेहतर काम होना चाहिए। ग्राम प्रधान को यह जिम्मेदारी देनी चाहिए कि सड़क किनारे पेड़-पौधे लगवाएं और उसकी रक्षा करें। बिजली की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। सौर ऊर्जा का अधिकाधिक इस्तेमाल से ऊर्जा को भी बचाया जा सकता है।

9. उद्योग और रोजगार की व्यवस्था - गांव में कृषि आधारित रोजगार जैसे- डेयरी, कुक्कुट, हस्तकरघा, चरखा, कुटीर उद्योग आदि की व्यवस्था होनी चाहिए।

10. ग्राम कचहरी की मजबूती - गांव मं कचहरी के पंच और सरपंच की पूरी जवाबदेही है कि गांव के छोटे-छोटे मामले ग्राम कचहरी में ही सलटा दें। आजकल ग्राम कचहरी में भी पारदर्शिता का अभाव होता जा रहा है। अतः सभी ग्रामवासियों की दायित्व बनता है कि गांव की कचहरी की न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में निस्पक्षता का ध्यान दें।

11. सहकारी बैंक और बैंक की व्यवस्था - आदर्श गांव के लिए जरूरी है कि ग्रामवासियों के वितीय लेखा-जोखा और पैसे की बचत के लिए ग्रामीण बैंक या सहकारी बैंक हरेक पंचायत में हो। सभी किसानों के पास किसान क्रेडित कार्ड और सेविंग के लिए खाते निश्चित रूप से हो।

एक आदर्श गांव बनने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है?

भारत के गांव में गरीबी एक बड़ी चुनौती है। आदर्श गांव तब बनेगा जब गांव के लोग शिक्षित और रोजगार प्राप्त हो। इन तमाम चीजों की बेहतरी के लिए ग्रामीणों को नई पीढ़ियों के विकास के लिए सोचना होगा। जन्म के बाद पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के लिए प्रयासरत रहना होगा। गरीबी के इस दंश से निकलने में कुछ वक्त जरूर लग सकते हैं। पर अपने से बेहतर बनाने वाले लोगों के बच्चे आज भी देश की जवाबदेही निभा रहे हैं। सभी अमीर के बच्चे नहीं। अधिकांश तो गांव में पढ़े-लिखें और उनकी परवरिश हुई। ऐसे में भारत सरकार की कुछ महत्वपूर्ण योजना जो गरीबी दूर करने का माध्यम बन रही है- स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना, प्रधानमंत्री रोजगार योजना, ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम, अन्नपूर्ण योजना, जनश्री योजना, ग्रामीण समृद्धि योजना, अंत्योदय योजना, रोजगार गारंटी योजना आदि।

आइए जानते हैं, आदर्श ग्राम योजना क्या है- 

इसका पूरा नाम सांसद आदर्श ग्राम योजना है। इसका उद्देश्य है कि विभिन्न योजनाओं के सामंजस्य को स्थापित करके गांव को विकास करना। सांसद अपने क्षेत्र से गांवों को गोद लेकर सर्वांगीण विकास करेंगे। वे जिस गांव को गोद लेंगे वह गांव सभी योजनाओं के जरिए वहां का सामुदायिक विकास होगा। इस योजना की शुरूआत 2014 ई में जय प्रकाश नारायण की जयंती पर हुई। इस योजना के तहत संसद सदस्य 2019 तक तीन गांवों को व 2024 तक आठ गांवों को गोद लेकर सामाजिक-आर्थिक-भौतिक संरचना का विकास करेंगे। आजीविका/रोजगार के अवसरों में वृद्धिए प्रवास की व्यवस्था, बंधुआ और बालमजदूरी रोकना, हाथ से मौला ढोने की प्रथा की समाप्ति, जन्म और मृत्यु का रजिस्टेशन, सामुदायिक विवाद समाधान सिस्टम को विकसित करना, शांति व मेलजोल कायम करने की कोशिश, माॅडल गांव बनाना जो अन्य गांव के लिए राॅल माॅडल बन जाए। देखादेखी उस गांव में भी सुधार हो।

वस्तुतः आदर्श गांव बनने के लिए सबसे पहले ग्रामीणों में इच्छाशक्ति का होना लाजिमी है। दूसरी चीज होती है नेतृत्व। जहां जैसा नेतृत्व होता है, वहां वैसा उन्नति या अवनति होती है। सरकारी योजनाओं की हालत सभी जगह एक सी नहीं रहती है। कहीं के सांसद काफी सामाजिक गतिविधियों से सरोकार रखते हैं और अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। इसलिए आदर्श गांव के इच्छुक व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि सभी ग्रामीण में मेलजोल बढ़ाए। लोगों के दिल जीते फिर सर्वसहमति से आदर्श गांव बनाने की नींव डाले। आदर्श गांव बनाने से पहले गांव के कुछेक युवाओं को स्वयं आदर्श बनना होगा। गांव के बच्चे से लेकर बूढ़े तक की जुबान पर बने रहना होगा। एकबार गांव के लोगों की सहमति बन गई तो बिना किसी की चिरौरी के आपका गांव और आप स्वयं आदर्श की बुनियाद पर खड़े हो जायेंगे। फिर यह गांव अन्य गांव के लिए राॅल माॅडल विलेज बन जायेगा।

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