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गांवों में ग्रामीणों की स्थिति सुधारने के उपाय

गांवों में ग्रामीण लोगों की स्थिति सुधारने के लिए सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा, कौशल आधारित प्रशिक्षण, कृषि को उन्नत करने के लिए सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था, नर्सरी, खेती करने का उपयुक्त प्रशिक्षण, किसान क्रेडिट कार्ड और अन्न व सब्जियों के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज, बाजार और वस्तुओं का उचित मूल्य आदि रोजगार और जीवन स्तर में बेहतर बदलाव ला सकते हैं।

Amritanj Indiwar 

भारत गांवों का देश है। भारत की आत्मा गांव में बसती है। ग्राम देवता, अन्न देवता, कुलदेवता सभी गांवों में रहते हैं। इनके सुख-समृद्धि में ही देश का विकास निहित है। गांव समृद्धि और सुव्यवस्थित होगा, तो देश की प्रगति होगी। गांव में ग्रामीण लोगों की स्थिति सुधरेगी तभी देश चैमुखी विकास करेगा । अन्न देवता यानि कृषक की वर्तमान स्थिति किसी से छुपी नहीं है। आये दिन अखबार की सुर्खियों में किसान की आत्महत्या से संबंधित खबरें रहती हैं। भारत में सबसे उपेक्षित किसान हैं। किसानों के लिए किए गए सरकार के प्रयास और सरकार की योजना जमीनी कम कागजी ज्यादा है। 

गांवों में ग्रामीणों की स्थिति सुधारने के उपाय

ग्रामीण विकास के लिए बुनियादी चीजों को मजबूत और समृद्ध करना पड़ेगा। प्रत्येक परिवार की आय बढ़ानी पड़ेगी। परिवार से समाज और समाज से राज्य और राज्य से देश संपन्न और खुशहाल होगा। कृषि, कृषि आधारित रोजगार, डेयरी उद्योग, हस्तकरघा उद्योग, गार्डेनिंग, नर्सरी उद्योग, लघु उद्योग आदि का जीडीपी के ग्रोथ में बहुत बड़ा योगदान है। पूरी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है गांव और गांव के किसान। 

गांव में ग्रामीणों की स्थिति सुधारने के उपायः 

सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा, कौशल आधारित प्रशिक्षण, कृषि को उन्नत करने के लिए सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था, नर्सरी, खेती करने का उपयुक्त प्रशिक्षण, किसान क्रेडिट कार्ड और अन्न व सब्जियों के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज, बाजार और वस्तुओं का उचित मूल्य आदि रोजगार और जीवन स्तर में बेहतर बदलाव ला सकते हैं। पर, इन तमाम चीजों की स्थिति बदतर है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि आदि की हालत बेहतर नहीं है। 

पंचायत सरकार को करना होगा मजबूत:

प्रत्येक पांच साल पर मुखिया व सरपंच जरूर बदल जाते हैं पर गांव की स्थिति लेसमात्र सुधरती नहीं है। सारी योजनाओं में लूट-खसोट मची है। ब्लाॅक से लेकर पंचायत तक योजनाओं का बंदरबांट हो जाता है। आमलोगों को सरकारी स्कीम का पूरा-पूरा लाभ नहीं मिलता। किसी को मिलता भी है तो रिश्वत देनी पड़ती है। पंचायत चुनाव में प्रतिनिधियों को चुनाव जीतने के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। चुनाव जीतने के बाद प्रतिनिधि खर्च की गई राशि की भरपाई रिश्वतखोरी से करते हैं। पीएचसी अक्सर टीकाकरण के समय ही खुलते हैं। बाकी समय दवा और डाॅक्टर नदारद रहते हैं। नरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, वृद्धा पेंशन योजना, कन्या विवाह योजना आदि में जबरदश्त घूसखारी और लूट मची है। 

गांवों में ग्रामीणों की स्थिति सुधारने के उपाय


ग्रामपंचायत की समृद्धि के लिए आवश्यक है-

  • सड़क निर्माण
  • पेयजल की सुविधा
  • विद्याल का सुचारू ढंग से संचालन और निरीक्षण
  • स्वास्थ्य उपकेंद्रों की उचित व्यवस्था और डाॅक्टर व दवा की उपलब्धता
  • आंगनबाड़ी केंद्रों का सही ढंग से संचालन और लाभुकों को पोषाहार वितरण
  • प्रत्येक पंचायत में कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना और उपयुक्त संचालन
  • बैंक द्वारा किसानों को केसीसी का उचित वितरण
  • किसानों को उचित बीज, खाद और बाजार की व्यवस्था
  • कृषि आधारित रोजगार की ओर लोगों का उन्मुखीकरण करना 
  • पंचायत भवन पर समय≤ पर आमसभा और योजनाओं का कार्यान्वयन
  • ग्राम कचहरी में सुनवाई और अधिक से अधिक मामलों का निपटारा करना
  • पौधरोपण और सिंचाई
  • पर्यावरण संरक्षण और संवर्द्धन कार्यक्रम का समय≤ पर संचालन
  • ग्रामीण कचरों का निष्पादन और मिट्टी की सुरक्षा
  • नकदी फसल का उत्पादन और बाजार की उपलब्धता
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम और कला को बढ़ावा
  • स्वच्छता और सफाई कार्यक्रम का साप्ताहिक आयोजन
  • खेलकूद मैदान की समुचित व्यवस्था
  • सामूहिक सहभागिता और सामाजिक गतिविधियां
  • जनप्रतिनिधि में ईमानदारी, कार्य-कुशलता और सेवाभाव

गांव में ग्रामीणों की स्थिति सुधारने के उपाय के कुछेक बिन्दुओं को रखने का एक प्रयास है। इस प्रयास से हद तक स्थिति सुधारी जा सकती है। गांव को स्वच्छ, सौम्य और सुंदर बनाना होगा। गांव सुधर जाए, तो निःसंदेह देश का विकास निर्बाध गति से होगा। निर्मल ग्राम की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया जा सकता है। 

निर्मल ग्राम योजना:

निर्मल ग्राम योजना भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त 2002 को आरंभ किया गया। इसका उद्देश्य था कि ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में मलत्याग की पारंपरिक आदतों में सुधार लाना। देश का पहला निर्मल ग्राम योजना प्राप्त करने वाला महाराष्ट्र का सतारा जिला है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सामुदायिक साफ-सफाई की आदतों को बदलकर निर्मल करने की महत्वपूर्ण योजना है। इसका स्लोगन है- ‘‘स्वच्छता ही सेवा है, गंदगी जानलेवा है। हर नागरिक का हो यह सपना स्वच्छ हो संपूर्ण भारत अपना।’’ गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर को ‘स्वच्छता दिवस’ मानाया जाता है। स्वच्छता में ही लक्ष्मी का वास होता है। अर्थात् जहां साफ-सफाई है वहां अमन चैन और स्वच्छ वातावरण है। हमें ग्राम विकास की रूपरेखा बनाने के समय सर्वप्रथम स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है। दिवाली व शब-ए-बारात पर्व स्वच्छता का प्रतीक है। साथ ही वृक्षारोपण, जल संचयन, सड़क का सौंदर्यीकरण आदि काफी आवश्यक है। 

हरेक गांव में हो खेलकूद के लिए मैदान:

स्वच्छता की इस कड़ी में किशोरों व युवाओं का सही दिशा में उपयोगी बनाने के लिए खेल का मैदान होना आवश्यक है। प्रत्येक पंचयात में खेल का मैदान जरूरी है। स्वास्थ्य और सामुदायिक सहभागिता के लिए फुटबाॅल क्लब, क्रिकेट क्लब, लाफिंग क्लब आदि महत्वपूर्ण है। क्लब के द्वारा स्वच्छता और सामाजिक गतिविधियों को जारी रखकर एक उन्नत समाज बनाया जा सकता है। वर्तमन समय में खेल को बढ़ावा देने के लिए खेलो इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। 

खेलो इंडिया से जोड़े गांव :

किसी के जीवन में खेल और फिटनेस का महत्व अमूल्य है। खेल खेलने से टीम भावना का विकास होता है, रणनीतिक और विश्लेषणात्मक सोच, नेतृत्व कौशल, लक्ष्य निर्धारण और जोखिम लेने का विकास होता है। एक स्वस्थ और स्वस्थ व्यक्ति समान रूप से स्वस्थ समाज और मजबूत राष्ट्र की ओर ले जाता है। 

खेलकूद देश के संपूर्ण प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। भारत ने कुछ सालों में खेल के क्षेत्र में निरंतर विकास किया है। इस जबरदस्त क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने की जरूरत है। यह समय है कि हम युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करें, उन्हें शीर्ष स्तर का बुनियादी ढांचा और उच्चतम स्तर का प्रशिक्षण दें। हमें खेलों में भागीदारी की एक मजबूत भावना पैदा करने की जरूरत है जो खिलाड़ियों को उनकी वास्तविक क्षमता का प्रदर्शन करने में सक्षम बनाती है। तभी भारत खेल महाशक्ति बनने के अपने सपने को साकार कर सकता है। यह सब युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय द्वारा खेल के विकास के लिए संचालित कार्यक्रम है जो खेल को बढ़ावा देने के मकसद से शुरू किया गया है। 

वस्तुतः कोरोना काल में एक बड़ी आबादी गांव की ओर लौट आया था। सभी लोग शुद्ध और सौम्य वातावरण में आकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करके चंगा हुए। गांव नहीं बचा होता, तो लोगों को बुरा हाल होता। अतएव ग्रामीण लोगों की स्थिति सुधरेगी के कुछेक उपाय उपरोक्त बिन्दुओं में वर्णित है।यदि गांव के लोग सभी पक्षों को पूरी ईमानदारी से गांव के विकास के लिए प्रयोग में लाए, तो निश्चित रूप से गांव सुविधा संपन्न और आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की नई इबारत लिख सकता है। गांव है तो ठांव है। 


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