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कुछ सपने टूट जाते हैं, तो कुछ सपने रंग लाते हैं

दिया आर्य

असोंकपकोट

बागेश्वरउत्तराखंड

 

कुछ सपने टूट जाते हैं, तो कुछ सपने रंग लाते हैं

वक्त ये भी बदल जाएगा जनाब,

वक्त वो भी बदल गया थावक्त ये भी बदल जाएगा ।

क्या हुआ जो आज टूटा हैकल फिर मुस्कुराएगा ।।

सब कुछ बदल जाता है आने वाले वक्त के साथ

कुछ सपने टूट जाते हैंतो कुछ सपने रंग लाते हैं। 

वक्त यह भी बदल जाएगा जनाब....।

कल तु खुश था अपनों के साथआज तु उलझा है 

हर पल दुखी और परेशान हैक्यूं निराशा ने तुझे जकड़ा है

ये वक्त भी नहीं थम पाएगा

वक्त ये भी बदल जाएगा जनाब...।

जिंदगी तेरी कल्पना से भी खूबसूरत है।

अभी तो सफ़र शुरू हुआ हैरंग सुहाने भी है।

कभी-कभी लगता हैसब देख लिया जिंदगी में अब 

लेकिन जिंदगी के सफर में कुछ देखा हुआ लौट कर नहीं आता।

फिर वक्त ये भी बदल जाएगा जनाब...।

दिल में आशा हो तो धड़कन संगीत और ना हो तो शोर।

सब कुछ वैसा नहीं होताजैसा दिखता है चारो ओर। 

तेरी नज़र में सब एक नहींतो  सबकी नजर में तू कैसे ?

अब बात अपने दिल की तू सबको नहीं समझा पाएगा।

तेरा ये वक्त भी बदल जाएगा...।

मत सोच कि जिंदगी में कितने दर्द उठाये हैं तूने

ये सोच वो दर्द ना होते तो कुछ अपने ना मिले होते

हर दर्द से तू खुद उभर कर आया हैतूने खुद को मजबूत बनाया है।

खड़ा हो आइने के सामने और कह दे ये वक्त भी बदल जाएगा जनाब...।

(चरखा फीचर)





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