रोल्याना, उत्तराखंड
मैं रंगों की नहीं, फूलों की बात कर रही हूँ।
मैं लड़कों की नहीं, लड़कियों की बात कर रही हूँ।।
क्यों नहीं मिलता लड़कियों को लड़कों जैसा अधिकार?
क्यों नहीं मिलता लड़कियों को लड़कों जैसा प्यार?
क्यों नहीं मिलता उन्हें लड़कों जैसा सम्मान?
क्यों नहीं मिलता उन्हें बोलने का अधिकार?
हर जगह क्यों चलती है लड़कों की बात?
अगर लड़की हंस दे तो संस्कार नहीं है।
सच बोलने का भी उसे अधिकार नहीं है।।
हर जुर्म लड़की अकेले क्यों सहे?
हर वक्त लड़की अकेले क्यों रोए?
मैं रंगों की नहीं, फूलों की बात कर रही हूँ।
हाँ, मैं लड़कों की नहीं, लड़कियों की बात कर रही हूँ।।
(चरखा फीचर)
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