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रिश्ता


पल्लवी भारती
मुजफ्फरपुर, बिहार

रिश्ता
कहां पर बोलना है और कहां पर बोल जाते हैं,

जहां खामोश रहना वहां मुंह खोल जाते हैं,

समाज का यही उसूल है, कोई पास तो कोई दूर है,

रिश्तों में नजदीकियां नहीं, यहां कोई अपना नहीं,

किसी की नज़र में ख़ुशी, कोई की मिसाल है,

जिसकी गोद में पल-बढ़ कर मनुष्य का अस्तित्व बना,
जिसके नाम से समाज में पहचान और सम्मान बढ़ा,

एक दिन सब भुलाये जाते हैं, फोन पर रिश्ते निभाए जाते हैं,

जमाने से बने-बनाए रिश्ते, पल भर में भुलाये जाते हैं,

जहां खामोश रहना है हमें, वहां पर मुंह खोल जाते हैं।।

(चरखा फीचर)

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