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बेटा-बेटी है एक समान, हाय! कब समझेगा ये संसार

 गर्भ में भी मुझ पर लटक रही थी एक तलवार

नीतू रावल

गनी गांवगरुड़

बागेश्वरउत्तराखंड

बेटा-बेटी है एक समान, हाय! कब समझेगा ये संसार


गर्भ में भी मुझ पर लटक रहीथी एक तलवार।।

जन्म लिया धरती पर फिर भीथी मैं हमेशा लाचार।।

मेरे आने की खबर सुनकरबहुत दुखी था मेरा परिवार।।

मां पर उठ रहे थे कई सवालघर में हो गया था एक बवाल।।

बचपन जाने कहां खो गईनहीं मिला कभी परिवार का प्यार।।

बरस रही थी मेरी आंखेंहोता देख ये अत्याचार।।

देख कर ये भेदभावटूट रही थी मैं बार-बार।।

बेटा-बेटी है एक समानहाय! कब समझेगा ये संसार।।

(चरखा फीचर)

बेटा-बेटी है एक समान, हाय! कब समझेगा ये संसार


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